अदरक के औषधीय गुण

अदरक के औषधीय गुण अपस्कार मिरगी - गला रूध कर आवाज निकलना, बेहोशी, दात भिंच जाना, पीड़ा आदि की स्थिति में 25 ग्राम अदरक का रस निक... thumbnail 1 summary



अदरक के औषधीय गुण


अपस्कार मिरगी- गला रूध कर आवाज निकलना, बेहोशी, दात भिंच जाना, पीड़ा आदि की स्थिति में 25 ग्राम अदरक का रस निकालकर कुछ गर्म करके रोगी व्यक्ति को पिलाना चाहिये।

बहुमूत्र- अदरक के रस में मिश्री मिलाकर सेवन कराने से बहुमूत्र में लाभ होता है। हृयद शूल या छाती की पीड़ा भी शान्त हो जाती है।

हैजा- अदरक के रस में अर्कमूल व कालीमिर्च पीछकर गोलियां बनाकर सेवन करना लाभकर रहता हैं।



जलोदर- पेट में पानी भर जाने से अदरक के 10 ग्राम रस में पुराना गुड़ 20 ग्राम की मात्रा में प्रातः साय कुछ दिनों तक नियमित लेने से जलोदर रोग समाप्त हो जाता है। किन्तु पथ्य में रोगी को केवल बकरी का दूध देना चाहिये।

स्वर भंग- अदरक में छेद करके उसमें 1 रत्ती हींग रखकर कपड़े में लपेटकर भूभल में भून लें। गन्ध आने पर चने के आकार की गोलियाॅ बनाकर धीरे धीरे चूसते रहें।

वमन- वमन होने की स्थिति में अदरक के रस में समान मात्रा में प्याज का रस मिलाकर पिलाना चाहिये।

जुकाम- यदि जाड़े की ऋतु में भयंकर जुकाम हो रहा हो जिसके कारण गला रूध गया हो तो अदरक का रस 10 ग्राम में शहद मिला गर्म कर रोगी को दिन में 2-3 बार दें, लाभ होगा।


इन्लूएंजा पर - इन्लूएंजा के ज्वर में एक चाय के चम्मच भर अदरक का रस और उतनी ही शहद एक ही साथ मिलाकर देने से निश्चित ही लाभ होता है। यह औषधि सूखी या बलगम युक्त खांसी में लाभप्रद है। 

भूख बढाने के लिये - खाने से पुर्व नमक के साथ अदरक खाने से भूख बढ़ती है। और मुह का जायजा ठीक होता है। सोंठ का चूर्ण भी भोजन के साथ या भोजन से पूर्व फाकना लाभदायक होता है। 

खांसी की औषधि - अदरक का रस 12 ग्राम सेधा नमक 125 मिलिगाम शहद 2 ग्राम काली मिर्च को बारीक पीसकर अदरक के रस में मिला दें। तत्पश्चात उसमें शहद डालकर अच्छी तरह फेट डाले। इसे सुबह शाम थोड़ा थोड़ा कुछ दिनों तक चाटने से खासी दूर होती है। स्मरण रहे कि इस उपचार के समय कोई स्निग्ध वस्तु खाकर जल न पियें ऐसा करने से लाभ के बजाय हानि सम्भव है। 

प्रसव के बाद की पुष्टई - औरतो के लिए सोठ अमृत तुल्य है। प्रसव के बाद की कमजोरी को दूर करने के लिए माताओं को सौठ का पाक खिलाया जाता है। यह पाक सौभाग्य शुंठी पाक के नाम से बाजारों में भी बिकता है। इसके प्रयोग से प्रसूती के शरीर के समस्त विकार निकल जाते है। और उसका शरीर बलवान हो जाता है। इससे दूध की शुद्धि और वृद्धि भी होती है। 

मंदाग्नि में - पहले आधा किलो अदरक अच्छी तरह उबाल ले। फिर उसे छीलकर पीस लें और उसमें 100 ग्राम हल्दी पीसकर मिला दे। इसके बाद इसमें सेर भर पुराना गुड़ मिलाकर रख दे। इस औषिधि को प्रतिदिन 3-3 ग्राम की मात्रा में लेने से अग्नि दीप्त होती है। और शक्ति बढ़ती है तथा साथ ही खासी भी दूर हो जाती है। 

1. भूख कम लगने पेट की गैस भोजन के प्रति अरूचि कब्ज जीभ व गले में बलगम चिपटने की स्थिति मे लगभग 5 ग्राम अदरक महीन काटकर आवश्यकतानुसार नमक डालकर एक डेढ सप्ताह तक प्रतिदिन सेवन करे।

चोट लगने पर - अदरक पीसकर गर्म कर ले। इसकी दर्द वाले स्थान पर लगभग आधा इंच (मोटाई) लेप करके पट्टी बाधे लगभग 2 घन्टे पश्चात लेप को हटाये व सरसों का तेल लगाकर सेक लें। इस प्रक्रिया को लाभ हाने पर प्रतिदिन करे।

अपच- भोजन के उपरान्त अदरक व नीबू के रस में सेधानमक मिलाकर प्रातःसाय पीते रहने से अपच दूर हो जाती है। और भूख खूब लगती है। 
कान का दर्द- अदरक का रस किचित गर्म करके कान में डालने से कान का दर्द तुरन्त समाप्त हो जाता है। 

दन्तशूल- दातो में दर्द होते समय अदरक के टुकड़े दातो के बीच में दबाकर रखने से दातो का दर्द समाप्त हो जाता है। 
सन्निपातिक ज्वर- अदरक का रस में त्रिकुटा व सेधानमक मिलाकर देने से गले में घिरा हुआ कफ निकल जाता है। जिससें रोगी को आराम मिल जाता है। 
न्यूमोनिया- अदरक के रस में 2-1 वर्ष पुराना घृत व कपुर मिलाकर गर्म करके लेप करना तत्काल लाभ करता है। 

अम्लपित- अदरक के रस 2 ग्राम में अनार का रस 5 ग्राम मिलाकर देने से अम्लपित्त ठीक हो जाता है। 
अजीर्ण- कुछ दिनों तक अदरक का रस सेवन करते रहने से अजीर्ण में लाभ होता है। और भूख खुलकर लगने लगती है। 

नेत्र रोग- अदरक को जलाकर उसकी राख बारीक पीसकर रख ले। यह राख नेत्रांजन करनंे से नेत्रों में ढलका जाना, जाला पड़ना आदि रोग दूर हो जाते है। 
सन्निपात - सन्निपात के कारण जब शरीर एकदम ठंडा पड़ जाये तब अदरक के रस में थोड़ा सा लहसुन का रस मिलाकर रोगी शरीर पर मर्दन करने से उसमें फिर से गर्मी लौट आने की संभावना रहती है। 

गृध्रसी, जंघा, कटि, बेदना- की स्थिति में अदरक के रस में शुद्ध ताजा घी मिलाकर पीना हितकर होता है। 
गैस टृबल, मंदाग्नि- कटि हुई अदरक में नमक छिड़ककर दिन में कई बार थोडी थोड़ी खाते रहने से अपान वायु निकलती है। शरीर का भारीपन समाप्त हाता है। चित्त प्रसन्न रहता है। और खूब भूख लगती है। 

सिर दर्द- सिर में दर्द या शरीर के जोड़ों (संधि स्थलो) में किसी भी कारण से पीड़ा होने पर अदरक के रस में सेंधानमक या हिगं मिलाकर मालिश करनी चाहिऐ। 
नाप जाना, नाभि हटना और अतिसार- अदरक के रस में कपड़ा भिगो-भिगोकर नाभि पर प्रति 15 मिनट बाद बदलते हुए रखें। अतिसार रूक जाता है और नाभि यथास्थान बैठ जाती है। 

आधासीसी का दर्द- रोगी व्यक्ति को चारपाई पर कुछ नीचा सिर करके सीधा लिटा दे। उसके बाद जिधर के हिस्से में दर्द हो उधर नासाछिद्र में अदरक का रस, मधु व जल समान मात्रा में मिलाकर 2-3 बूदे टपकाये। 3-4 बार ऐसा करने से लाभ हो जायेगा, दवा मस्तिष्क में अवश्य पहुच जानी चाहिए। 

प्रतिश्यामा (जुकाम)- अदरक 5 ग्राम, मिश्री 10 ग्राम, कालीमिर्च 10 नग इनका 200 ग्राम जल में काढ़ा बनाकर चैथाई (1/4 भाग) शेष रहने पर पीवें। 
अंड वृद्धि- वायुकार के कारण यदि अंडकोष बढ़ जाये तो अदरक के रस में शहद मिलाकर प्रतिदिन लगभग 40 दिन तक सेवन करे।